गूंज शौर्य की


 
                     हर घर में दीप जले ,
                     हर चेहरा मुस्कुराया
                     पति के वियोग में पगलाई वीरांगना,
                     आज  सुकून से सोई |

                     खिलखिला उठा आँख का पानी ,
                     कण - कण धरा का मुस्कुराया .
                     चमक  उठा  मुकुट हिमालय  का ,
                     बेटों  ने गौरव  बढ़ाया |

                     शत - शत  नमन  वीर जवानों को,
                     सहादत   का  पाठ  पढ़ाया,
                     सुलग  रही  ह्रदय  में  ज्वाला,
                     आज सुकून है  पाया |

झरना प्रीत का -

 
मधुर लय में बहता
 प्रीत के किस्से गुनगुनाता
 बरसी स्नेह की बदरी
   हुआ प्रीत में विभोर
पल्ल्वित तन मन  के तार
  प्रीत की हूक उठी  गहरी
धरा   से  स्नेह   अपार
छुपा रहा वियोग की छहरी
   पुष्प  ख़ुशी के  बरसाता
पल्ल्वित  मन का द्वार
झर - झर बहता झरना प्रीत का
सिसकी  प्रीत का ह्रदय के पार |
 
              -  कविता 

हौसला

   

   




          हौसला

न  डगमगाएगे  क़दम
तुम साया बन साथ निभाना
जीवन की तपती रेत में
तुम हाथ थाम लेना

दिल  में  नेक  इरादे
तुम  सफ़र में मुस्कुरा देना
ओझल सी इन रहो को
उम्मीद बन  महका  देना

न चाँद सितारों की ख़्वाहिश
 तुम  हाथ  थामे  रखना
मिलेगी एक दिन मंजिल
तुम हौसले को न डगमगाने देना

इरादे मजबूत
सफ़र को इतलाह कर देना
क़दमों में होंगी मंजिल
जमाने को ख़बर पहुँचा  देना

ऋतुराज वसंत

                                   


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खिल रहे फूल वादियों  में  झूमा  मन,
वसंतऋतु का आगमन, झूम रहा सरसों का तन,

समीर भी मुस्कुरा उठी, महकी महकी गंध,
मोहब्बत के अंकुर फूटे, हुए धरा से मधुर संबंध,

दुल्हन सी सजीं धरा, मोहब्बत के राग गुनगुनाती,
प्रीत का दामन फैला रही, मुस्कुराहट फ़िज़ा में फैलती,

मोहब्बत का फ़रमान भरा, समीर संग सज़ा दिया,
 मन में घुली मोहब्बत, मानव  मन  महका दिया|

                     -  कविता सैनी


खुशियाँ

खुशियाँ आँखों ही आँखों में कुछ कहते जाना मौन  रहे  पर मुस्कुराते  हुए  आना दबे पाँव  आना  जीवन में  मचलते हुए  हंसतें जाना  ...