ऋतुराज वसंत

                                   


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खिल रहे फूल वादियों  में  झूमा  मन,
वसंतऋतु का आगमन, झूम रहा सरसों का तन,

समीर भी मुस्कुरा उठी, महकी महकी गंध,
मोहब्बत के अंकुर फूटे, हुए धरा से मधुर संबंध,

दुल्हन सी सजीं धरा, मोहब्बत के राग गुनगुनाती,
प्रीत का दामन फैला रही, मुस्कुराहट फ़िज़ा में फैलती,

मोहब्बत का फ़रमान भरा, समीर संग सज़ा दिया,
 मन में घुली मोहब्बत, मानव  मन  महका दिया|

                     -  कविता सैनी


4 comments:

  1. बहुत सुन्दर रचना 👌
    सादर

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  2. खिल रहे फूल वादियों में झूमा मन,
    वसंतऋतु का आगमन, झूम रहा सरसों का तन,
    बहुत सुंदर ।

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