झरना प्रीत का -

 
मधुर लय में बहता
 प्रीत के किस्से गुनगुनाता
 बरसी स्नेह की बदरी
   हुआ प्रीत में विभोर
पल्ल्वित तन मन  के तार
  प्रीत की हूक उठी  गहरी
धरा   से  स्नेह   अपार
छुपा रहा वियोग की छहरी
   पुष्प  ख़ुशी के  बरसाता
पल्ल्वित  मन का द्वार
झर - झर बहता झरना प्रीत का
सिसकी  प्रीत का ह्रदय के पार |
 
              -  कविता 

8 comments:

  1. बहुत सुन्दर 👌
    सादर

    ReplyDelete
  2. बहुत ही सुन्दर रचना

    ReplyDelete
  3. This comment has been removed by the author.

    ReplyDelete
  4. वाह बहुत सुन्दर रचना

    ReplyDelete
    Replies
    1. सस्नेह आभार सखी उत्साहवर्धन टिप्णी के लिए
      सादर

      Delete
  5. पल्ल्वित तन मन के तार
    प्रीत की हूक उठी गहरी
    धरा से स्नेह अपार
    छुपा रहा वियोग की छहरी...
    सुंदर रचना.....शुभकामनायें ।

    ReplyDelete
  6. सह्रदय आभार आदरणीय
    सादर

    ReplyDelete

खुशियाँ

खुशियाँ आँखों ही आँखों में कुछ कहते जाना मौन  रहे  पर मुस्कुराते  हुए  आना दबे पाँव  आना  जीवन में  मचलते हुए  हंसतें जाना  ...