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खुशियाँ
खुशियाँ आँखों ही आँखों में कुछ कहते जाना मौन रहे पर मुस्कुराते हुए आना दबे पाँव आना जीवन में मचलते हुए हंसतें जाना ...

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साजन साजन मैं पुकारु ,साजन है प्रदेश देख ! सखी द्वार पर आयो न कोई संदेश काक कहे प्रीत संदेश,हिवड़ो करे पुकार मन बैरी बेचैन...
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हमेशा की तरह ख़ामोश पर पुकारती माँ की आँखें ताकती दहलीज़, मायूसी समेटे बैठा आँगन खिड़की से झांकती बचपन की यादें इंतज़ार...
बहुत सुन्दर 👌
ReplyDeleteसादर
बहुत ही सुन्दर रचना
ReplyDeleteसस्नेह आभार सखी
Deleteसादर
This comment has been removed by the author.
ReplyDeleteवाह बहुत सुन्दर रचना
ReplyDeleteसस्नेह आभार सखी उत्साहवर्धन टिप्णी के लिए
Deleteसादर
पल्ल्वित तन मन के तार
ReplyDeleteप्रीत की हूक उठी गहरी
धरा से स्नेह अपार
छुपा रहा वियोग की छहरी...
सुंदर रचना.....शुभकामनायें ।
सह्रदय आभार आदरणीय
ReplyDeleteसादर