खुशियाँ
आँखों ही आँखों में
कुछ कहते जाना
मौन रहे
पर मुस्कुराते हुए आना
दबे पाँव आना जीवन में
मचलते हुए हंसतें जाना
बैठी हूँ
आँगन में
तुम न घबराना
गमले के नीचे
दरवाज़े के पीछे
इस कोने से उस कोने में
तुम खोलना आँखें
पलकों के नीचे
दबे मन के भावों में
तलाशना तुम
दलीचे के नीचे
संग हूँ तेरे
तुम महसूस करना
मुस्कुराते रहना
यह कहते रहना
विचार मेरे जीवन के
बने खुशियाँ मेरी
धड़कनों में सिमटे
कह रहे मुस्कुराते रहना ।
- कविता