खुशियाँ







खुशियाँ

आँखों ही आँखों में
कुछ कहते जाना
मौन  रहे
 पर मुस्कुराते  हुए  आना
दबे पाँव  आना  जीवन में 
मचलते हुए  हंसतें जाना 
बैठी हूँ
आँगन में
 तुम न घबराना
गमले के नीचे
 दरवाज़े के पीछे
इस कोने से उस कोने में
तुम खोलना आँखें
पलकों के नीचे
दबे मन के भावों में
तलाशना तुम
 दलीचे के नीचे
संग हूँ तेरे
 तुम महसूस करना
मुस्कुराते रहना
 यह कहते रहना
विचार मेरे  जीवन के
बने खुशियाँ मेरी
धड़कनों में सिमटे
कह रहे मुस्कुराते रहना ।

         -  कविता 

हमेशा की तरह













हमेशा की तरह
ख़ामोश
पर पुकारती माँ  की आँखें

ताकती दहलीज़,
 मायूसी समेटे बैठा आँगन

खिड़की से झांकती बचपन की यादें
इंतज़ार में बैठी है मेरे।

विरह










साजन साजन मैं पुकारु ,साजन है प्रदेश
देख ! सखी द्वार पर आयो न कोई संदेश

 काक कहे  प्रीत  संदेश,हिवड़ो करे पुकार
मन बैरी बेचैन हुयो, नयनों से बरसे प्यार

मन को  मोहे प्रीत रंग,रंगों से करू श्रृंगार
सखी साजन आए द्वार पर, छलिया है संसार।

ग़रीबी










मुस्कुराती जिंदगी 
सिमट रही अभावों  में 

सिमट रही 
बच्चों की मुस्कुराहट 
ग़रीबी के लुका छिपी  खेल  में 

 लाले पड़ रहे
दो वक़्त की रोटी के 
वक़्त के सियासी खेल में 

हो खुद्दारी की चादर 
मिले सुकून से दो वक़्त खाना 
वो पल निगाहें तलाश रही जिंदगी में।

गूंज शौर्य की


 
                     हर घर में दीप जले ,
                     हर चेहरा मुस्कुराया
                     पति के वियोग में पगलाई वीरांगना,
                     आज  सुकून से सोई |

                     खिलखिला उठा आँख का पानी ,
                     कण - कण धरा का मुस्कुराया .
                     चमक  उठा  मुकुट हिमालय  का ,
                     बेटों  ने गौरव  बढ़ाया |

                     शत - शत  नमन  वीर जवानों को,
                     सहादत   का  पाठ  पढ़ाया,
                     सुलग  रही  ह्रदय  में  ज्वाला,
                     आज सुकून है  पाया |

झरना प्रीत का -

 
मधुर लय में बहता
 प्रीत के किस्से गुनगुनाता
 बरसी स्नेह की बदरी
   हुआ प्रीत में विभोर
पल्ल्वित तन मन  के तार
  प्रीत की हूक उठी  गहरी
धरा   से  स्नेह   अपार
छुपा रहा वियोग की छहरी
   पुष्प  ख़ुशी के  बरसाता
पल्ल्वित  मन का द्वार
झर - झर बहता झरना प्रीत का
सिसकी  प्रीत का ह्रदय के पार |
 
              -  कविता 

हौसला

   

   




          हौसला

न  डगमगाएगे  क़दम
तुम साया बन साथ निभाना
जीवन की तपती रेत में
तुम हाथ थाम लेना

दिल  में  नेक  इरादे
तुम  सफ़र में मुस्कुरा देना
ओझल सी इन रहो को
उम्मीद बन  महका  देना

न चाँद सितारों की ख़्वाहिश
 तुम  हाथ  थामे  रखना
मिलेगी एक दिन मंजिल
तुम हौसले को न डगमगाने देना

इरादे मजबूत
सफ़र को इतलाह कर देना
क़दमों में होंगी मंजिल
जमाने को ख़बर पहुँचा  देना

खुशियाँ

खुशियाँ आँखों ही आँखों में कुछ कहते जाना मौन  रहे  पर मुस्कुराते  हुए  आना दबे पाँव  आना  जीवन में  मचलते हुए  हंसतें जाना  ...