हमेशा की तरह













हमेशा की तरह
ख़ामोश
पर पुकारती माँ  की आँखें

ताकती दहलीज़,
 मायूसी समेटे बैठा आँगन

खिड़की से झांकती बचपन की यादें
इंतज़ार में बैठी है मेरे।

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खुशियाँ

खुशियाँ आँखों ही आँखों में कुछ कहते जाना मौन  रहे  पर मुस्कुराते  हुए  आना दबे पाँव  आना  जीवन में  मचलते हुए  हंसतें जाना  ...